March 18, 2025

Himachal Tehalaka News

himachaltehalakanews

ऊना के एक सफल मत्स्य उद्यमी की प्रेरक गाथामछली पालन से आत्मनिर्भरता की मिसाल बने जीवन लाल

ऊना, 18 फरवरी। कहते हैं कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी सफलता हासिल की जा सकती है। ऊना जिले के गगरेट ब्लॉक के गोंदपुर बनेहड़ा गांव के जीवन लाल ने इस बात को सच कर दिखाया है। सहायक योजनाओं के संबल और सरकारी सहयोग से स्वरोजगार की राह पकड़ कर उन्होंने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। पारंपरिक कृषि से अलग हटकर उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत मछली पालन को अपनाया और आज वे इस क्षेत्र में एक सफल उद्यमी के रूप में पहचाने जाने लगे हैं। महज दो साल के भीतर सफलता का सोपान पाने वाले जीवन लाल को पहले साल व्यवसाय में 2.20 लाख का लाभ हुआ और इस साल उन्हें 7 लाख से अधिक के मुनाफे की उम्मीद है।जीवन लाल की यह यात्रा न केवल उनके लिए आर्थिक समृद्धि लाई, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है।हिमाचल के मत्स्य पालन विभाग के निदेशक विवेक चंदेल का कहना है कि मुख्यमंत्री श्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार विभाग मछली पालन को प्रोत्साहित कर युवाओं के लिए स्वरोजगार के साधन बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए अनेक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत पात्रता के अनुसार 40 और 60 फीसदी सब्सिडी का प्रावधान है। वहीं, सरकार ने मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना भी प्रारंभ की है, जिसमें किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।कुछ यूं पड़ा सफलता का बीजजीवन लाल ने वर्ष 2023-24 में 0.3450 हेक्टेयर भूमि पर मछली पालन की शुरुआत की थी। इस दौरान, उन्होंने पीएमएमएसवाई योजना के तहत सरकार से 1.71 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त की। अपनी मेहनत, दूरदृष्टि और सही रणनीति के चलते उन्होंने पहली ही फसल से 2.2 लाख रुपये का लाभ कमाया। पहली सफलता के बाद जीवन लाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2024-25 में उन्होंने अपने पड़ोस के तालाबों को किराए पर लिया और कार्प मछली पालन का विस्तार किया। वर्तमान में, उन्होंने लगभग 1.3817 हेक्टेयर क्षेत्र में मत्स्य बीज का संवर्धन किया है, जिसमें करीब 6 टन मछली तैयार हो चुकी है। वर्ष के मध्य में इनका विक्रय कर वे लगभग 7.6 लाख रुपये का लाभ अर्जित करने की उम्मीद कर रहे हैं।नवाचार से लिखी सफलता की दास्तानहिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जीवन लाल ने मत्स्य पालन में कुछ नवाचार किए, जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हुआ। उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे लेकिन प्रभावी तालाब बनाए, जिन्हें आसानी से संचालित किया जा सकता है। साथ ही, उन्होंने मिश्रित सेमी-इंटेंसिव कार्प कल्चर तकनीक अपनाई, जिससे उन्होंने मछली उत्पादन में वृद्धि की। पहाड़ी क्षेत्रों में मछली का आहार महंगा पड़ता है, इसलिए उन्होंने बाजार से सस्ते खाद्य पदार्थ जैसे कि बची हुई दालें और सोयाबीन न्यूट्री का मिश्रण बनाकर मछलियों को खिलाया, जिससे उत्पादन लागत घटी और मुनाफा बढ़ा। अपने व्यवसाय के विस्तार से उन्होंने 72 अतिरिक्त मानव-दिवसों का रोजगार सृजित किया और एक व्यक्ति को स्थायी रूप से रोजगार भी दिया।जीवन लाल की सफलता की कहानी हिमाचल में मत्स्य पालन की बढ़ती संभावनाओं की तस्दीक है। साथ ही उन सभी किसानों और युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने जीवन में स्वरोजगार से सफलता की राह बनाना चाहते हैं।