November 3, 2024

Himachal Tehalaka News

himachaltehalakanews

नौकरी की क्या जरुरत? …. जब घर में ही पैदा कर रहे लाखों का शहद

हमीरपुर 18 जून:-कृषि-बागवानी और पशुपालन के साथ-साथ मधु-मक्खी पालन जैसे अन्य व्यवसायों को जोडक़र अगर घर में ही लाखों की आमदनी हो जाए, तो फिर घर से बाहर नौकरी के लिए जगह-जगह भटकने की जरुरत ही क्या है? ग्रामीण परिवेश में रहने वाले आम लोगों की इस परिकल्पना को साकार कर दिखाया है नादौन उपमंडल के गांव ग्वालपत्थर के 85 वर्षीय गोपाल चंद कपूर, उनके पुत्र राजेंद्र कुमार, बहू जयवंती और पौत्र शिव कुमार ने। जी हां, एक ही परिवार की तीन पीढिय़ों के ये लोग मधु-मक्खी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाकर न केवल घर में ही अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी स्वरोजगार की राह अपनाने के लिए प्रेरित एवं प्रशिक्षित कर रहे हैं। लगभग 85 वर्ष की उम्र में भी चुस्त-दुरुस्त और पूरी तरह से मधु-मक्खी पालन के लिए समर्पित गोपाल चंद कपूर आज के दौर में स्वरोजगार की संभावनाएं तलाश रहे ग्रामीण युवाओं के लिए एक बड़े प्रेरणास्रोत हो सकते हैं। लगभग तीन दशक पूर्व वर्ष 1992 में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग से अनुदान एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद महज 4-5 बक्सों के साथ मधु-मक्खी पालन शुरू करने वाले गोपाल चंद कपूर और उनका परिवार अब हर साल लाखों रुपये का शहद बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेच रहा है। यही नहीं, गोपाल चंद कपूर और उनके बेटे राजेंद्र कुमार शिवा ग्रामोद्योग समिति के नाम से मधु-मक्खी पालन प्रशिक्षण केंद्र चलाकर अन्य लोगों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं तथा उन्हें इसे एक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह समिति प्रशिक्षणार्थियों को बाकायदा सर्टिफिकेट जारी करती है और साथ मधु-मक्खी पालन के लिए आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करवाती है।

गोपाल चंद और राजेंद्र कुमार का कहना है कि शहद एक ऐसा उत्पाद है, जिसकी बाजार में हर समय काफी मांग रहती है और इसे दाम भी काफी अच्छे मिलते हैं। यह कभी खराब भी नहीं होता है और इसकी स्टोरेज एवं परिवहन के लिए कोई विशेष व्यवस्था भी नहीं करनी पड़ती है। किसानों-बागवानों के लिए यह एक बहुत ही अच्छा विकल्प है और इसमें फायदा ही फायदा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार भी मधु मक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है तथा किसानों-बागवानों को इसके लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित कर रही है। प्रदेश सरकार ने उद्यान विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत 80 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान भी किया है। गोपाल चंद और राजेंद्र कुमार का कहना है कि यह एक बहुत ही अच्छी योजना है। युवाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए।