January 24, 2025

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पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षित व संतुलित विकास जरूरीः शुक्ल

राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आज संरक्षित व संतुलित विकास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पश्चित देशों के मुकाबले आज भारत सबसे कम कार्बन उत्सर्जन कर रहा है। पश्चित देशों में आज पर्यावरण इतना असंतुलित है कि उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि पश्चित देशों के मुकाबले आज भारत सबसे कम कार्बन उत्सर्जन कर रहा है। पश्चित देशों में आज पर्यावरण इतना असंतुलित है कि उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।राज्यपाल आज हमीरपुर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में ‘‘उत्तर क्षेत्र पर्यावरण कार्यशाला’’ में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था पर्यावरण संरक्षण हमारी प्रतिबद्धता है मज़बूरी नहीं है। हमारी संस्कृति में पेड़-पौधों का धार्मिक महत्व है और हम उनकी पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि राजभवन में उन्होंने भी तुलसी के पौधे लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण की अच्छी स्थिति है और वन कटान पर भी प्रतिबंध है। लेकिन, हमेें अपने हरित आवरण को संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन के हमें रसायन मुक्त कृषि को अपनाना होगा और मोटे अनाज की ओर लौटना पडे़गा।उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज वैश्विक चिंता का विषय बनकर उभरा है जो हमें सीधे तौर पर प्रभावित भी करता है। उन्होंने कहा कि उत्तरी क्षेत्र में तेजी से बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि और अनियंत्रित मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन पर व्यापक असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चिंता वायु प्रदूषण ही हो गई है। औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन प्रदूषण और कृषि पद्धतियां इस समस्या का महत्वपूर्ण कारण बन रही हैं। इसके लिए उन्होंने सतत विकास को बढ़ावा देना, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने, वायु प्रदूषण से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कड़े नियमों की वकालत की।श्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पानी की कमी एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर क्षेत्र की प्रमुख नदियों के जल स्रोत प्रदूषण, अति प्रयोग और अतिक्रमण से खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट जल उपचार, और सामुदायिक जागरूकता अभियान भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय कर सकते हैं। उन्होंने उत्तरी क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को भी सुरक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा वनों की कटाई, अवैध वन्यजीव व्यापार और आवास विनाश जैसी गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए आने वाला खतरा है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र विशेष रूप से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है।

इसलिए जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने, स्थायी प्रथाओं को बढावा देने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का समर्थन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बदलती जलवायु के सामने अनुकूलन रणनीतियों को विकसित करना और लचीलापन बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अपने सामूहिक प्रयासों से हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित, स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनियाभर के देशों के लिए एक प्रेरणा के रूप में उभर रहा है, विशेष रूप से इस तथ्य पर कि आर्थिक विकास और पर्यावरण का संरक्षण साथ-साथ चल सकता है।इससे पर्व, राज्यपाल ने एन.आई.टी परिसर में आवला का पौधा रोपा।आरोग्य भारती के राष्ट्र अध्यक्ष डॉ. राकेश पण्डित ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है और इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। हमारी संस्कृति और परम्परा हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति अधिक जागरूक करती है। लेकिन, एक तरफ के विकास ने हमें इससे विमुख कर दिया है। वन कटान, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, प्लास्टिक का उपयोग तथा तनीकी विकास ने भी पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डाला है।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक एक गंभीर समस्या बन गया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमें संवेदनशील होने की आवश्यकता है और एक जागरूक नागरिक की तरह पर्यावरण संरक्षण को जीवन का अंग बनाना होगा।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो. हीरालाल मुरलीधर सूर्यवंशी ने राज्यपाल का संस्थान में स्वागत किया तथा संस्थान की विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में कचरा प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस दिशा में उन्नत भारत अभियान से जुड़े सभी संस्थानों के प्रयासों की जानकारी दी तथा सभी प्रतिभागियों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया।आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि यह एक सेवा संगठन है, जो लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ा है।

उन्होंने कहा कि इससे संस्थान से जुड़े 20 हजार आरोग्य मित्र ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।आरोग्य भारती के हिमाचल सचिव श्री हेमराज ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।हमीरपुर जिले के उपायुक्त श्री हेमराज बेरवा, पुलिस अधीक्षक डॉ आकृति शर्मा तथा पांच राज्यों से आए आरोग्य भारती के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।