December 27, 2024

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कुपोषित एवं कम वजनी बच्चों तथा किशोरियों की स्वास्थ्य जांच के लिए जुलाई के द्वितीय एवं तृतीय सप्ताह में विशेष अभियान

सुजानपुर 10 जुलाई। पोषण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने, कुपोषण के स्तर में कमी लाने, आहार में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को जांचने और भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम करने के उद्देश्य से बाल विकास परियोजना सुजानपुर द्वारा जुलाई 2023 के द्वितीय सप्ताह में स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर कुपोषित एवं कम वजनी बच्चों तथा किशोरियों के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच अभियान चलाया जा रहा है। सप्ताह के दौरान मध्यम एवं गंभीर रूप से दुबले तथा कम वजनी बच्चों का सुजानपुर विकास खंड के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों चबूतरा, चौरी, पटलांदर, गुब्बर एवं जंगल बैरी तथा नागरिक अस्पताल सुजानपुर में स्वास्थ्य जांचा जाएगा तथा आवश्यकता पड़ने पर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र (न्यूट्रीशन रिहैबिलिटेशन सेंटर) में रेफर किया जाएगा। गंभीर रूप से दुबले एवं कम वजनी बच्चों जिन्हें रेफर किए जाने की आवश्यकता नहीं है उन्हें चिकित्सीय परामर्श के साथ-साथ अस्पतालों में उपलब्ध सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त टॉनिक, मल्टीविटामिन, इलेक्ट्रोलाइट एवं ऐपेटाइजर और कृमि नाशक निशुल्क प्रदान किए जाएंगे। सप्ताह के दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत किशोरियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जाएगी। इस अभियान में उनके रक्त की जांच, शुगर लेवल, वृद्धि स्तर और अन्य स्वास्थ्य मानकों का आकलन किया जाएगा तथा चिकित्सीय आहार संबंधी परामर्श भी प्रदान किया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए सीडीपीओ सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि इस संबंध में बीएमओ सुजानपुर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों से पत्र व्यवहार कर लिया गया है और सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यदि स्वास्थ्य जांच का कार्य दूसरे सप्ताह में पूरा नहीं होता है तो यह अभियान तीसरे सप्ताह भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कुपोषण बच्चे के विकास को अवरुद्ध कर देता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। एक स्वस्थ बच्चे की तुलना में कुपोषित बच्चे के रोग ग्रस्त होने की 9 गुना अधिक संभावना होती है। कुपोषण का सर्वाधिक गंभीर प्रभाव मानव की उत्पादक शक्ति (प्रोडक्टिविटी) पर पड़ता है जो 10 से 15% तक कम हो जाती है। उत्पादक शक्ति कि यह कमी अंततः देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है। इसी प्रकार किशोर लड़कियां प्रायः सही खानपान के ज्ञान के अभाव में अनीमिया का शिकार हो जाती हैं। उक्त दोनों श्रेणियां अर्थात बच्चे एवं किशोर समाज की संरचना की रीढ़ होते हैं। अतः सरकार, समाज और समुदाय सहित सभी का यह दायित्व है की इस कमी को पूरा करने में अपना योगदान दें। महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग का यह सांझा कार्यक्रम इसी दिशा में एक प्रयास है।