आज कांगड़ा जिले के चनौर में ऐतिहासिक शिव मंदिर में शीश नवाया और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए मंदिर के साथ अपने पुराने संबंध को साझा किया और कहा कि मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले भी वह यहां शीश नवाने के लिए अकसर आते रहे हैं।मुख्यमंत्री ने ब्यास नदी बेसिन और उसकी सहायक नदियों के किनारे क्रशर गतिविधियों पर प्रतिबंध के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने ऐसे कार्यों को रोकने का निर्णय आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत इस मॉनसून में भारी बारिश से उत्पन्न चुनौतियों के कारण लिया है। इसका उद्देश्य प्रदेश के पर्यावरण संतुलन को बनाए रखनेे और राज्य के बुनियादी ढांचे को सुरक्षा प्रदान करना है। यह प्रतिबंध न केवल कांगड़ा बल्कि कुल्लू, मंडी और हमीरपुर जिलों में भी लागू है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बदलते मौसम और प्राकृतिक आपदाओं से पर्यावरण संरक्षण और राज्य के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र के वन विश्राम गृह डाडासीबा में पौधारोपण भी किया।इस अवसर पर विधायक संजय रतन व होशियार सिंह, कांग्रेस नेता सुरेंद्र मनकोटिया, नरदेव कंवर, डॉ. राजेश शर्मा, उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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