ऊना, 19 अक्तूबर। उपायुक्त एवं जिला दंडाधिकारी जतिन लाल ने ऊना जिले में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत एक निषेधाज्ञा जारी की है। यह आदेश नौकरी के बहाने जिले में आने वाले असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण रखने के लिए लागू किया गया है।जिला दंडाधिकारी ने बताया कि कई लोग बिना अपने पहचान-पत्रों के सत्यापन के ऊना आते हैं और आजीविका कमाने के लिए छोटे व्यापारों और सेवाओं, जैसे शॉल विक्रेता, फेरी वाले, मोची, बर्तन मरम्मत करने वाले, या विभिन्न उद्योगों में ठेका श्रमिक के रूप में कार्यरत होते हैं। उनकी पृष्ठभूमि की जानकारी के अभाव और बिना सत्यापन के कई बार अपराध की रोकथाम में कठिनाई होती है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसके साथ ही, असामाजिक तत्वों की नौकरी चाहने वालों के वेश में जिले की शांति को भंग करने और जनता के जीवन एवं संपत्ति को हानि पहुँचाने की आशंका भी बनी रहती है।इसलिए, सभी प्रवासी श्रमिकों का रोजगार के लिए सत्यापन अनिवार्य किया गया है। कोई भी नियोक्ता, ठेकेदार या व्यापारी प्रवासी श्रमिकों को उनकी पहचान और पासपोर्ट आकार की फोटो के संबंधित थाना अधिकारी (एसएचओ) के पास सत्यापन के बिना किसी भी गैर-औपचारिक रोजगार या ठेका कार्य में नियुक्त नहीं कर सकेगा। इसके अतिरिक्त, स्वयं रोजगार प्राप्त करने या छोटे व्यापारों में संलग्न होने वाले व्यक्तियों को अपने इरादों की जानकारी संबंधित थाना अधिकारी (एसएचओ) को देनी होगी।सभी धार्मिक स्थल और परिसर, जहाँ ऐसे व्यक्ति आश्रय लेते हैं, को उनके पूरे रिकॉर्ड को रखने का निर्देश दिया गया है। कोई भी व्यक्ति पुलिस के साथ पंजीकरण कराए बिना इन संस्थानों में नहीं ठहर सकेगा। ऊना जिले के सभी उपमंडलीय पुलिस अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखने और नियमित रूप से इन गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए निर्देशित किया गया है। इन निर्देशों का उल्लंघन करने पर संबंधित प्रवासी श्रमिकों और उनके नियोक्ताओं के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 223 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।–
himachaltehalakanews
More Stories
पनयाली की महिलाओं को मशरूम की खेती सिखाएगा आरसेटी
पीएनबी ने शहीद दिलवर खान के परिवार को प्रदान किया 1 करोड़ रुपये का बीमा लाभ
उपायुक्त ने गैर आवासीय प्रशिक्षण केंद्र गुगलैहड़ का किया लोकार्पण