ऊना – सर्दियों में फलदार पौधों को कोहरे से बचाने के लिए उप निदेशक उद्यान केके भारद्वाज ने बागवानों को विशेष एहतियात बर्तने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि कोहरे से छोटे तथा बडे़ फलदार पौधे काफी प्रभावित होते हैं। इससे बागवानों को नुक्सान हो सकता है। उन्होंने जिला के बागवानों को कोहरे से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी है ताकि फलदार पौधों को कोहरे से बचाया जा सके। उन्होंने बागवानों को शीघ्र कोहरे से बचाव प्रक्रिया को अपनाने का आहवान किया है।उप निदेशक ने बताया कि सर्दी के मौसम में निचले क्षेत्रों में कोहरा पड़ना आम बात है। लेकिन कोहरे की वजह से पौधों पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकना आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि फलदार पौधों में खासतौर पर आम एवं पपीता के पौधों पर कोहरे के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सर्दी के मौसम में कोहरे के चलते हवा में मौजूद नमी बर्फ के कण में बदल जाती है। कम तापमान की वजह से पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। कोहरे के प्रभाव से फल खराब हो जाता है व फूल झड़ने लगते हैं। कई बार आने वाले वर्षों में भी फलदार पौधे कम पैदावार देते हैं। आम एवं पपीता इत्यादि पौधों पर कोहरे का प्रभाव अधिक पाया गया है। बागवान कोहरे से बचाव के यह उपाय अपनाएं – भारद्वाजभारद्वाज ने बताया कि सब्जियों पर भी इसका असर पड़ता है, जिससे कभी-कभी शत प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है। उन्होंने बागवानों को कोहरे से बचाव के लिए उपाय अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि फल पौधों का चयन (मुख्यता आम व पपीता के पौधे) कोहरे से ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में न लगाएं। छोटी आयु (4-5 वर्ष तक) के पौधों को घास या सरकण्डे से ढक दें तथा दक्षिण पश्चिम दिशा में धूप एवं हवा के लिए खुला रखें। कोहरा पड़ने की संभावना होने पर पौधों पर पानी का छिड़काव करें। हो सके तो बगीचे को सिंचित करें। पौधों के दौर को घास से ढक कर रखें। उन्होंने बताया कि अनुमोदित मात्रा में पौधों में पोटाश खाद दें जिससे उसकी कोहरा सहने की क्षमता बढ़ती है। सर्दियों से पहले या सर्दियों के दिनों में पौधों में नाईट्रोजन खाद न डालें। उन्होंने बताया कि फल पौधों की नर्सरियों को कोहरे से बचाने के लिए घास (छपर) या छायादार जाली से ढकें।इसके अतिरिक्त बागवानों से से आग्रह किया कि नये बगीचों की स्थापना के लिए अपने नजदीकी विषय विशेषज्ञ (बागवानी) या बागवानी विकास अधिकारी या बागवानी प्रसार अधिकारी की सलाह लें। इसके साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनः गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत अपने फल-पौधों का बीमा करवायें ताकि बागवानों को उपज में होने वाली सम्भावित क्षति से होने वाले आर्थिक नुक्सान की भरपाई की जा सके।
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