शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के खिलाफ मंत्रियों, विधायकों के साथ ही अफ़सरशाही में नाराजगी और बढ़ गई है। न्यायपालिका से जुड़े लोग भी खुश नहीं हैं। इसका कारण सुक्खू सरकार के आए दिन लिए जा रहे कड़े फैसले हैं। हालांकि ये फैसले आम और खास के बीच के फर्क को खत्म कर रहे हैं, लेकिन, विधायिका, कार्यप्रणाली और न्यायपालिका को बिल्कुल नहीं भा रहे। आईये आपको बताते हैं नाराजगी की बढ़ी वजह क्या है। सुक्खू सरकार ने पहले हिमाचल भवन दिल्ली-चंडीगढ़, हिमाचल सदन दिल्ली, वीलीज पार्क के कमरों का शिमला का किराया बढ़ाकर 1200 रुपये किया। अब हिमाचल प्रदेश सरकार के सभी सर्किट हाउस और रेस्ट हाउस के कमरों का किराया भी बढ़ा दिया है। सर्किट हाउस में रुकने पर अब वीवीआईपी को भी 600 रुपये किराया देना होगा। रेस्ट हाउस में प्रति कमरा 500 रुपये भुगतान करना पड़ेगा। हिमाचल भवन, हिमाचल सदन और वीलीज पार्क में वीवीआईपी के साथ ही अफसरों, कर्मचारियों और न्यायपालिका से जुड़े लोगों को प्रति रूम बहुत ही कम किराया देना पड़ता था। अब 1200 रुपये प्रति कमरे के अलावा जीएसटी अलग से लगता है, जिस कारण कमरे का किराया ही लगभग 1340 रुपये तक चुकाना पड़ता है। इससे मंत्री, विधायक, जज, अफसर, कर्मचारी, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक सुक्खू सरकार से काफी नाराज थे। सरकार ने अब सर्किट हाउस और रेस्ट हाउस का किराया बढ़ाकर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। पहले से नाराज चल रही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में सरकार के प्रति खासा रोष है।
आम आदमी की तरह ही अब वीवीआईपी को भी अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। अभी तक उन्हें नाममात्र राशि ही सरकारी सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस, हिमाचल भवन और सदन में रहने की चुकानी पड़ती थी। इसलिए एक वीवीआईपी के नाम पर दो से तीन कमरे भी एक दिन के लिए बुक होते थे। आम आदमी को कमरे मिल ही नहीं पाते थे, मिल भी जाए तो किराए में बड़ा अंतर था, जिसे लोग भेदभाव मानते थे। सुक्खू सरकार के कड़े फैसलों से भले ही आम आदमी खुश हो, लेकिन सरकार चलाने वालों के साथ ही न्यायपालिका नाखुश है।
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